केतु ग्रह शांति पूजा 17000 हजार मंत्र जप

 


  • केतु ग्रह शांति पूजा
    केतु ग्रह शांति पूजा के माध्यम से केतु की अशुभता को दूर कर बनाएं केतु ग्रह को अपनी जन्मकुंडली में मज़बूत।
  • केतु शांति पूजा के लाभ
    केतु शांति पूजा करने से जातक को अपने कामकाज, संतान सुख, वैवाहिक जीवन, आदि से जुड़ी हर समस्या से छुटकारा मिलता है।
  • सबसे सटीक उपाय
    केतु के प्रकोप से बचने के लिए केतु ग्रह शांति पूजा है सबसे सटीक उपाय।
  • अभी करवाएं ऑनलाइन पूजा व अनुष्ठान
    अब घर बैठकर करवाएं केतु ग्रह शांति पूजा और इस आसान, सस्ती और सुलभ सेवा का उठाएं लाभ!

केतु ग्रह शांति पूजा

केतु को छाया ग्रह कहा जाता है, राहु के बाद केतु ही एकमात्र ऐसा दूषित ग्रह है जिसका प्रभाव अधिकतम नकारात्मक ही पड़ता है। हालांकि केवल तीसरे, दसवें, ग्यारहवें और बारहवें भाव का केतु जातक को कुछ सकारात्मक परिणाम देता है। जबकि पांचवें और अष्टम भाव का केतु बहुत ही अशुभ परिणाम देता है। केतु घातक दुर्घटनाओं का कारक होता है, जो शारीरिक अपंगता का कारण बनता है। ऐसे में जिस भी कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में होता है तो, इसका बुरा असर सीधे तौर पर जातक के कार्यक्षेत्र, दांपत्य व वैवाहिक जीवन, आदि को प्रभावित करता है। यही मुख्य कारण है कि, कुंडली में केतु की अशुभता को दूर करने के लिए केतु शांति पूजा की जाती है।

पूजा की संपूर्ण जानकारी और विधि
केतु शांति पूजा के लाभ
  • जीवन में अचानक घटित होने वाली वाहन दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
  • वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
  • घर परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जातक को कामकाज में भी अच्छा धन-लाभ होता है।
  • मानसिक शांति मिलती है, तथा स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है।
केतु ग्रह शांति पूजन का महत्व
यह पूजा व अनुष्ठान कराने से जातक के कई महत्वपूर्ण कार्य संपन्न होते हैं। साथ ही इस पूजा से केतु का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है और जातक को केतु के शुभ प्रभाव से सभी शारीरिक व मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है। यदि कोई कार्य रुका होता है तो, वो भी इस पूजन के फलस्वरूप पूरा हो जाता है।

केतु ग्रह शांति हेतु पूजा विधि
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु ग्रह शांति पूजा एक दिन में किसी विशेषज्ञ पंडित या पुरोहित द्वारा संपन्न की जाती है, और इसलिए यह पूजा आमतौर पर सोमवार के दिन से शुरू की जाती है। हालांकि इस पूजा विधि या प्रक्रिया में विभिन्न चरण शामिल हो सकते हैं।

किसी भी पूजा को करने में सबसे आवश्यक कदम उस पूजा के लिए निर्दिष्ट मंत्र का पाठ करना होता है और यह जाप अधिकांश 17000 बार होता है। इसलिए केतु ग्रह पूजा में भी आदर्श रूप से 17000 बार केतु ग्रह मंत्रों का जाप करते हुए, बाकी प्रक्रिया या विधि इस मंत्र के साथ ही बनाई जाती है।

इस प्रकार, हमारे विशेषज्ञ पंडित जी या पुरोहित जी इस पूजा के आरंभ के दिन, एक विशेष संकल्प लेते हैं। अपने इस संकल्प में प्रमुख पंडित जी भगवान शिव के समक्ष शपथ लेते हैं कि वे और उनके अन्य सहायक पंडित एक निश्चित व्यक्ति के लिए 17000 बार केतु ग्रह मंत्र का जाप करने जा रहे हैं, जो जातक है और उसका नाम, उनके पिता का नाम और उनके परिवार का नाम भी इस संकल्प में शामिल किया जाता है।

केतु ग्रह शांति पूजा कैसे होगी ?
केतु ग्रह शांति पूजा हेतु, किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से सहायता लेते हुए online पूजा का विवरण पूजा कराने वाले यजमान (जातक) को दिया जाएगा और आपकी पूजा को एक विशेष पंडित जी को सौंपा जाएगा और उसका शुभ निर्धारित समय जातक को दिया जाएगा।

नामित पंडित जी एक समय में केवल एक पूजा करेंगे। पूजा से पहले पंडित जी या आचार्य जी आपके व आपके परिवार का विवरण प्राप्त करेंगे और उसके बाद ही, संकल्प या पूजा के लिए उद्देश्य के साथ पूजा की शुरुआत करेंगे।

पूजा शुरू होने से ठीक पहले, आपको एक कॉल लगाया जाएगा ताकि पंडित जी आपको अपने साथ संकल्प पाठ में शामिल कर सकें। यह पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।

यदि पूजा के दौरान आप अपने घर में या मंदिर में हो तो, आप एक शांत स्थान में बैठकर लगातार “ॐ ऎं ह्रीं केतवे नम:” मंत्र का जप व पाठ कर सकते हैं। फिर पूजा के अंत में, पंडित जी आपको पूजा के दौरान उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा को स्थानांतरित करने के लिए पुनः फ़ोन के जरिए शामिल करेंगे। इस प्रक्रिया को “श्रेया दाना” या “संकल्प पूर्ति” के रूप में जाना जाता है। यह पूजा के अंत का प्रतीक है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q1. केतु ग्रह शांति पूजा से क्या लाभ मिलता है?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय स्वरभानु नामक एक असुर ने धोखे से दिव्य अमृत की कुछ बूंदें पी ली थी। जिसे सूर्य देव और चंद्र देव ने पहचान लिया और मोहिनी अवतार में भगवान विष्णु को इस छल के बारे में सूचित किया। स्वरभानु इससे पहले की अमृत को अपने गले से निगल पाता, वहां उपस्थित भगवान विष्णु ने उसका गला अपने सुदर्शन चक्र से काट कर उसके धड़ से अलग कर दिया। परंतु तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। इसी सिर ने राहु और धड़ ने केतु ग्रह का रूप लिया, जिसका सूर्य- चंद्रमा से इसी कारण शत्रुता रहती है। इसी द्वेष के चलते छाया ग्रह सूर्य और चंद्र को ग्रहण लगाने का प्रयास करते हैं।

Q2. क्या केतु ग्रह शांति पूजा में मेरी शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता होगी ?

नहीं, इस पूजा अनुष्ठान की यह सबसे अनोखी सुंदरता यह है कि इसके अनुष्ठान के दौरान आप शारीरिक रूप से अन उपस्थित होते हुए भी, इस पूजा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

Q3. केतु ग्रह शांति पूजन का कुल समय कितना होता है ?

आमतौर पर, इसमें एक सप्ताह तक पांच ब्राह्मणों के द्वारा हर दिन 5 से 6 घण्टे का समय लगता है।

Q4. केतु ग्रह शांति पूजन का समय कैसे निर्धारित किया जाता है ?

केतु शांति पूजा का समय शुभ मुहूर्त देखकर तय किया जाएगा।

Q5. इस पूजन को कराने लिए क्या-क्या जानकारी होना अनिवार्य होता है ?

इस पूजन को कराने के लिए, पुरोहित जी यजमान से पूजा से पहले से कुछ जानकारी लेते हैं। जो इस प्रकार है:-

  • पूरा नाम
  • गोत्र
  • वर्तमान शहर सहित राज्य, देश, आदि।
  • पूजा करने का उद्देश्य - आप पूजा क्यों कर रहे हैं?

Q6. ऑनलाइन केतु ग्रह शांति पूजा से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए ?

जब पंडित जी पूजा अनुष्ठान कर रहे हो तो, आपको “ॐ ऎं ह्रीं केतवे नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए। साथ ही केतु की शांति के लिए, श्री गणेशजी की आराधना करना भी उचित होता है।

Q7. केतु शांति पूजन के लिए किस सामग्री का उपयोग होता है?

इस पूजन में धूप, फूल, पान के पत्ते, सुपारी, हवन सामग्री, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी और गुलाबी कपड़ा, आदि विशेषरूप से उपयोग किया जाता है।

Post a Comment

Previous Next

نموذج الاتصال